स्वराज-महिन्द्रा के मज़दूरों के जायज संघर्ष का पुरजोर समर्थन करो !


लोक एकता जिन्दाबाद!                   हक, संच, इंसाफ के लिए एकजुट संघर्ष जिन्दाबाद!


प्यारे लोगो , हम महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के मोहाली स्थित तीन कारखानों के लगभग 1200 डिप्लोमा होल्डर इंजीनीयर म•ादूर काम के मुताबिक जायज वेतन हासिल करने, नाजायज तबादले रद्द करने, कारखाने में यूनियन बनाने का अधिकार लागू करवाने, जबरन छँटनी रुकवाने तथा अन्य पूरी तरह जायज माँगों के लिए 22 अप्रैल से हड़ताल पर हैं। अभी तक प्रशासन और फैक्ट्री मैनेजमैंट ने हमारी माँगें मानना तो दूर, इसके बारे में कोई बात तक नहीं की है। फैक्ट्री मैनेजमैंट व प्रशासन की इस बेरूखी व अडिय़ल रवैये के कारण ही हमें हड़ताल करने और सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अन्याय के खिला$फ संघर्ष करने के लिए हमें साधारण जनता के समर्थन की सख्त जरूरत हैं। हम सभी इंसाफपसंद मेहनतकशों, नौजवानों, विद्यार्थियों, आम लोगों को हमारा साथ देने की अपील करते हैं। हमारी माँगें मुख्यत: ये हैं

(1) झूठे दोष लगा कर निकाले व ट्रांसफर किए गए तकरीबन 50 मज़दूरों को बहाल किया जाए। 

(2) ट्रेनिंग का समय ढाई साल से कम करके 1 साल (240 दिन) किया जाए। सभी कर्मचारिओं को उनकी योग्यता के हिसाब से वेतन दिया जाए। फैक्ट्री में ट्रेनी कर्मचारियों से भी कारीगर कर्मचारियों के बराबर ही काम लिया जाता है। ट्रनी भी दूसरे मजदूरों जितना ही उत्पादन करते हैं। लेकिन उन्हें बेसिक वेतन सिर्फ़ 2100 रुपये ही दिया जाता है और कम बेसिक के चलते भत्ते भी बहुत कम हो जाते हैं। 2010 के बाद से महँगाई तो बहुत बढ़ी है लेकिन उसके मुताबिक वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। नतीजतन, उन्हें घर से पैसा मँगवा कर या कर्ज लेकर जैसे-तैसे गुज़ारा करना पड़ता है। 

(3) महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के तीनों कारखानों में यूनियन (''स्वराज-महिन्द्रा कर्मचारी यूनियन) बनाने का अधिकार लागू हो। फैक्ट्री में पहले से जो यूनियन मौजूद है वह कम्पनी की शर्तों की वजह से मजदूरों की समस्याओं पर संघर्ष नहीं कर पा रही है।

यह कम्पनी ''पंजाब ट्रैक्टर लिमिटड के नाम से जानी जाती थी। ''पी .टी. एल पंजाब की प्रसिद्ध सरकारी कम्पनी थी जिसे 2007 में ''महिन्द्रा को बेच दिया गया था। इसके बाद यहाँ के मजदूरों की मेहनत की लूट लगातार बढ़ती गई और अब यह कम्पनी आई.टी.आई. होल्डरों को भी ठेके पर भर्ती कर रही है। इस तरह पंजाब सरकार का यह कारखाना जो लोगों की खून-पसीने की कमाई से निर्मित सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा था, वह अब पूँजीपतियों को बेहिसाब मुनाफ़ा कमाने के लिए सौंप दिया गया है।

इस देश के सभी नौजवानों का यह अधिकार है कि सरकार उनके लिए सुरक्षित और गुजारा करने लायक रोजग़ार की गारण्टी करे। लेकिन हो इससे उल्टा रहा है। शहर का डिप्टी कमिश्नर कहता है, ''हमें कंपनी को बचाना है। लेकिन किसकी कीमत पर? मदूरों को भूखा मारकर!? हमारे सरकारी अधिकारियों के कहने का यही अर्थ है। हमने अपना माँग-पत्र श्रमविभाग को दिसम्बर 2013 में ही दे दिया गया था। लेकिन इसपर कोई कारवाई नहीं हुई। उल्टा, कम्पनी ने हमारे संघर्ष को कुचलने की ठान ली। हमारे संघर्ष को बिखराने के लिए मैनेजमैंट ने हमारे साथियों को कम्पनी से निकालना शुरू कर दिया। लगभग 50 मजदूरों की छँटनी और तबादले के बाद हम कम्पनी के अन्याय को और नहीं सह सकते थे। नतीजतन 22 अप्रैल से हड़ताल करके कम्पनी गेट पर धरना लगाकर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

एक मई को शहर के रिहायशी और ओद्योगिक क्षेत्र में निकाली गई रैली के बाद शहर के पुलिस मुखी ने फोन पर आश्वासन दिया था कि वे दो मई को कारखाने में आकर कारखाना मैनेजमेंट के साथ हमारी बात करवाएँगे। लेकिन यह आश्वासन भी झूठे वायदे से अधिक कुछ न निकला। उल्टा अब हमें पुलिस कह रही है कि हम कारखाने के गेट पर से धरना हटा लें। कम्पनी श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाती आ रही है। वैसे तो प्रशासन सब जानता है लेकिन कम्पनी के इस महाभ्रष्टाचार के बारे में श्रम विभाग को हमने दिसम्बर 2013 में खुद भी सूचित किया था। लेकिन इस पर तो पुलिस-प्रशसन आँखें मूँदे रहा। हम मदूरों के लूटे जा रहे हकों की बात पर तो प्रशासन को कानून याद नहीं आई। जब हम अपना हक लेने के लिए हड़ताल पर बैठे हैं तो झूठे बहाने बनाकर कानून की दुहाई दी जा रही है। हमारा संघर्ष पूरी तरह शांतिपूर्ण है। हड़ताल और धरना-प्रदर्शन के जरिए कम्मनी द्वारा लूट के खिला$फ संघर्ष करना हमारी संवैधानिक आबादी है। हम कम्पनी के चल रहे काम में बाधा भी नहीं डाल रहे हैं। इस लिए प्रशासन को हमारे ऊपर दबाव डालने की बजाए कम्पनी को श्रम कानून  लागू करने के लिए कहना चाहिए। हमारी माँग श्रम कानून लागू करवाने की है। कानून लागू करवाना प्रशासन की जिम्मेवारी है। प्रशासन को अपनी जिम्मेवारी निभानी ही होगी। हम अपने एकजुट संघर्ष से प्रशासन से अपने कानूनी अधिकार लागू करवाकर ही दम लेंगे। हम 6 मई को विशाल संख्या में सड़कों पर उतरकर शहर के मुखी डिप्टी कमिश्नर को उसका फर्ज याद दिलाएँगें। 

हम लोगों ने पिछले दिनों सभी राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय प्रतिनिधियों को भी अपनी जायज माँगों से अवगत करवाया था और मस्ले को हल करवाने की अपील की थी। सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने कहा था कि वे चुनाव के बाद तुरन्त ही हमारा मसला हल करवाएँगे। लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी के हमारा मसला हल करवाने के लिए कोशिश नहीं की और दुबारा मिलने पर सभी ने यही कह कर काम चलाया है कि वे कुछ न कुछ करेंगे।

कम्पनी मैनेजमेंट और प्रशासन के बहरे कानों को सुनाने के लिए हमें आम जनता के समर्थन की जोरदार आवाज की जरूरत है। हम सभी इंसाफपसंद नागरिकों, बुद्धिजीवियों,विद्यार्थियों को अपील करते हैं कि हक, सच, इंसाफ के लिए हमारे संघर्ष का आगे बढ़कर पुरजोर समर्थन करें, साथ दें।

अपीलकर्ता        -                      स्वराज-महेन्द्रा कर्मचारी यूनियन

फोन सम्पर्क      - 7355534259, 8968389583, 9023469960, 9041102413, 8699716226

सहयोगी संगठन    -                      नौजवान भारत सभा

फोन सम्पर्क          -                       9888808188


प्रकाशन दिनांक-3 मई 2014


No comments:

Post a Comment